Kashi Vishwanath Jyotirlinga काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – Complete Travel Guide in Hindi

 काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास, मान्यता, यात्रा गाइड

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर वाराणसी – दर्शन, कथा और यात्रा गाइड


काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे सबसे प्रमुख माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और वाराणसी (बनारस) शहर के बीचों-बीच स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव स्वयं काल से परे होकर काशी नगरी की रक्षा करते हैं। काशी को मोक्ष नगरी भी कहा जाता है, जहाँ मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।


मंदिर का इतिहास

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। इसे कई बार विध्वंस किया गया और फिर से बनवाया गया। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा करवाया गया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को सोने से मढ़वाया।


पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव से काशी नगरी को अपना निवास बनाने का अनुरोध किया था। भगवान शिव ने इसे अपनी प्रिय नगरी घोषित कर दिया। मान्यता है कि स्वयं विष्णु भगवान ने भी यहाँ तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की थी।


काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व

मान्यता है कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यही कारण है कि यह तीर्थ स्थल पूरे वर्ष श्रद्धालुओं से भरा रहता है।


मंदिर की वास्तुकला

मंदिर की वास्तुकला अत्यंत भव्य है। मुख्य गर्भगृह में विश्वेश्वर महादेव शिवलिंग विराजमान हैं। मंदिर के शिखर पर 800 किलो से अधिक सोना चढ़ाया गया है, जो इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाता है।


दर्शन का समय

  • सुबह: 3:00 AM – 11:00 AM
  • दोपहर: 12:30 PM – 7:00 PM
  • रात्रि: 8:30 PM – 9:00 PM
समय मौसम और विशेष पर्वों के अनुसार बदल सकता है।


कैसे पहुँचें

  • रेलवे से: वाराणसी जंक्शन स्टेशन से काशी विश्वनाथ मंदिर की दूरी लगभग 5 km है।
  • हवाई मार्ग से: बाबतपुर एयरपोर्ट (Lal Bahadur Shastri Airport) से मंदिर की दूरी लगभग 25 km है।
  • सड़क मार्ग से: वाराणसी देश के हर कोने से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।


कहाँ ठहरें

वाराणसी में हर बजट के अनुसार होटल्स, गेस्ट हाउस और धर्मशालाएँ आसानी से उपलब्ध हैं। मंदिर के आसपास कई ट्रस्ट धर्मशालाएँ भी संचालित हैं।

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आसपास के दर्शनीय स्थल

  • दशाश्वमेध घाट
  • मणिकर्णिका घाट
  • सारनाथ स्तूप
  • तुलसी घाट
  • संकटमोचन हनुमान मंदिर


यात्रा के सुझाव और सावधानियाँ

  • भीड़भाड़ से बचने के लिए सुबह जल्दी दर्शन करें।
  • मोबाइल और कैमरा मंदिर में अंदर ले जाना प्रतिबंधित है।
  • पूजा सामग्री पहले से ही मंदिर के बाहर के अधिकृत दुकानों से ही लें।
  • सावन मास और महाशिवरात्रि के समय यहाँ विशेष भीड़ होती है।



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Location of Kashi Vishwanath Jyotirlinga



डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक-कथाओं पर आधारित है। पाठक इसे केवल सामान्य सूचना मानें। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या यात्रा से पहले स्थानीय ट्रस्ट या अधिकृत स्रोत से सही जानकारी लें। यह लेख केवल श्रद्धालुओं को जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिखा गया है। मंदिर संचालन या यात्रा व्यवस्था से संबंधित कोई अधिकार या जिम्मेदारी इस ब्लॉग के लेखक या संचालक की नहीं है।

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